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पाठ योजना में जीवन मूल्य को शामिल करें : श्रीराम जी

rahul
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“परमात्मा का स्वरूप सारा विश्व है” — श्रीराम जी आरावकर 


विद्या भारती मध्य भारत प्रान्त द्वारा आयोजित आचार्य दक्षता वर्ग में आज एक प्रेरणादायक संवाद सत्र का आयोजन हुआ, जिसमें विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्री श्री श्रीराम आरावकर जी ने शिक्षार्थियों को मार्गदर्शन प्रदान किया।

उन्होंने संवाद के दौरान कहा, “परमात्मा का स्वरूप सारा विश्व है।” इस भाव को समझाते हुए उन्होंने शिक्षा में भारतीय जीवन मूल्यों की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में शिक्षा केवल जानकारी नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है जो आत्मा के विकास से जुड़ी हुई है।




श्री आरावकर जी ने शिक्षा और विद्या में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि जहाँ शिक्षा बाह्य ज्ञान और कौशल प्रदान करती है, वहीं विद्या व्यक्ति के अंतःकरण को प्रकाशित करती है। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे अपने आचरण द्वारा छात्रों में भारतीय संस्कार, आत्मबोध और सेवा भावना जाग्रत करें।


इस अवसर पर उपस्थित सभी शिक्षार्थियों ने श्री आरावकर जी के विचारों को गहनता से आत्मसात किया और उन्हें अपने शिक्षण जीवन में उतारने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम का समापन उत्साह और आभार के साथ हुआ।






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