डॉ. देविदास पटेल द्वारा प्राकृतिक खेती पर लगातार किसानो को प्रशिक्षण एवं जागरूक किया जा रहा है |
विधि प्रदर्शन के माध्यम से कृषक बंधुओ को जीवामृत , घन जीवामृत एवं कीटनाशक आदि बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है आगे डॉ पटेल द्वारा किसानो को प्रशिक्षण के दौरान बताया गया की प्राकृतिक खेती करने से मृदा में उपस्थित लाभदायक शुक्ष्म जीवाणु की संख्या में वृद्धि होती है जो की वातावरण में उपस्थित नत्रजन क स्थिरीकरण कर फसलो को उपलब्ध कराते है और मृदा की जल धारण क्षमता को बढाते है जिससे कम पानी में भी अच्छे उत्पादन प्राप्त किआ जा सके |
प्राकृतिक खेती करने से मृदा, जल एवं हवा को दूषित होने से बचाया जा सकता है
केंद्र के प्रभारी डॉ. संजीव कुमार गर्ग से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की वर्तमान में अत्याधिक रासयनिक खेती से हो रहे दुष्परिणाम को देखते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने प्राकृतिक खेती पर विशेष जोर दिया गया है इस हेतु केंद्र के वैज्ञानिक लगातार प्राकृतिक खेती पर किसानो को प्रशिक्षण प्रदान कर रहे है जिसके अंतर्गत जैविक खाद (जीवामृत, घन जीवामृत) , जैविक कीटनाशी (निमास्त्र, दस पर्णी अर्क) आदि निर्माण विधि प्रायोगिक तौर पर किसानो को समझाया जा रहा है
यह प्रशिक्षण केंद्र पर एवं गाँव गाँव में किसानो को एकत्रित कर प्रदान किया जा रहा है