उनके एक एकड में लगाने पर बीज,खाद, ड्रिप, मल्चिंग, श्रमिक की लागत जोडकर 1 लाख 50 हजार का खर्च आया
जिससे उनके यहाँ प्रति एकड़ 100 किन्टल लगभग जैविक हरी हल्दी का उत्पादन हुआ है इसी को उन्होंने प्रोस्सेड कर सुखाया है जिससे उनको 20 किन्टल हल्दी प्राप्त हुई है
इसे वह 200 रुपये प्रति किलोग्राम विक्रय कर रहे है जिससे उनकी कुल आय लगभग 4 लाख हुई है उनको 1.5 लाख लागत घटाकर शुद्ध बचत लगभग 2.5 लाख की हुई है इसके लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर नर्मदापुरम के वैज्ञानिकों का आभार व्यक्त किया है और अन्य किसानों को भी हल्दी की खेती करने की सलाह दी है जिससे अधिक आय प्राप्त की जा सके
इसके अतिरिक्त उन्होंने स्वयं द्वारा विकसित सेम की कुंआरी किस्म की खेती 5 एकड में लगा रखी हैं और इसका विपणन लखनऊ में कर अधिक आय प्राप्त करते हैं
इसी के साथ साथ वह 90 एकड में मक्का लगाकर मक्के से साईलेज बनाकर गौशालाओं को एवं अन्य बाजार में बेच रहे है जिससे उनको मक्के की तुलना में अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं अन्य किसान भाई भी उनसे प्रेरणा ले रहे है
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ संजीव कुमार गर्ग ने बताया है कि केंद्र जिले में पिछले पांच वर्षो से लगातार किसानों के यहाँ फसल विविधिकरण पर कार्य कर रहा है जिससे जिले के किसान अन्य फसलो की तरफ आकर्षित होकर अधिक आय प्राप्त कर रहे है एवं किसानो को कृषि रोजगार से जोड़ा जा रहा है