* समांतर प्रारम्भ हुआ जैविक क़ृषि एवं मशरूम उत्पादन पर कौशल विकास प्रशिक्षण *
गोविन्दनगर : कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर में जैविक क़ृषि एवं मशरूम उत्पादन पर कौशल विकास प्रशिक्षण का शुभारंभ किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों और युवाओं को जैविक क़ृषि एवं मशरूम उत्पादन के विभिन्न तकनीकों से परिचित कराना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है।
प्रशिक्षण का उद्घाटन कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. संजीव कुमार गर्ग ने किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा
इस प्रशिक्षण का उद्देश्य किसानों को जैविक कृषि की विधियों से परिचित कराना और उन्हें टिकाऊ खेती के लिए प्रेरित करना है।आगे कहाँ की "जैविक कृषि न केवल पर्यावरण के लिए हितकर है, बल्कि इससे उत्पादित फसलें भी अधिक पौष्टिक और सुरक्षित होती हैं। यह प्रशिक्षण किसानों को जैविक खेती की नई तकनीकों और उनके लाभों से अवगत कराएगा।"
प्रशिक्षण कार्यक्रम में जैविक कृषि के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई, जैसे जैविक खाद का उपयोग, कीट प्रबंधन, बीज उपचार, और फसल चक्र। विशेषज्ञों ने किसानों को व्यावहारिक प्रदर्शन के माध्यम से जैविक कृषि की विधियों को समझाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य किसानों को जैविक खेती की ओर प्रेरित करना है, जिससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होगी, बल्कि उनके उत्पाद भी स्वस्थ और सुरक्षित होंगे।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में 25 महिलाओं और युवाओं की भी भागीदारी देखने को मिली, जो जैविक खेती के प्रति अपनी रुचि और उत्साह दिखा रहे थे।
मशरूम उत्पादन प्रशिक्षण
"मशरूम उत्पादन कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नवाचार है, जो न केवल पोषण और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि किसानों की आय में भी वृद्धि कर सकता है।"
प्रशिक्षण कार्यक्रम के विशेषज्ञ डॉ. आकांक्षा पाण्डेय ने मशरूम की खेती के विभिन्न पहलुओं पर व्याख्यान दिए। इनमें मशरूम की किस्मों का चयन, उत्पादन की विधियाँ, फसल प्रबंधन, और विपणन रणनीतियाँ शामिल हैं। प्रतिभागियों ने मशरूम उत्पादन के व्यावहारिक प्रशिक्षण में भी भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए।
प्रशिक्षण मे 25 स्थानीय किसानों, युवाओं और महिला ने भाग लिया।