मनावत जी ने अनुशासन को विद्यार्थी जीवन का आधारस्तंभ बताते हुए कहा कि अनुशासन ही वह मूलमंत्र है जो विद्यार्थियों को सफलता की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा, "अनुशासन का पालन करने से विद्यार्थी अपने समय का सदुपयोग कर पाते हैं और वे अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अनुशासन से व्यक्ति में आत्मसंयम, समर्पण और सकारात्मक सोच का विकास होता है।" आगे उन्होंने कहा की पशु के लिए दण्ड संहिता एवं मनुष्य के लिए आचार्य संहिता निर्धारित है
मनावत जी ने अपने संबोधन में
कहा कि सरस्वती वंदना भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह वंदना न केवल
ज्ञान और बुद्धि की देवी सरस्वती का आह्वान करती है, बल्कि विद्यार्थियों के मन में विद्या के प्रति श्रद्धा और
समर्पण का भाव भी जागृत करती है। उन्होंने कहा, "सरस्वती वंदना से
विद्यार्थियों के मन में सकारात्मक ऊर्जा और एकाग्रता बढ़ती है, जिससे वे
शिक्षा के प्रति अधिक समर्पित हो पाते हैं।"
इस कार्यक्रम के अंत में क्षेत्र के सांसद महोदय श्री दर्शन
सिंह जी चौधरी ने सभी बच्चो को मार्गदर्शन
प्रदान करते हुए कहा की आप इंजिनियर, डाक्टर, कलेक्टर ,
बकील अन्य अधिकारी क्यों न बन जाओ सबसे पहले एक अच्छा इन्सान बनना | सभी बच्चो को शुभकामनाये
के साथ अपने वाणी को विराम दिये |
कार्यक्रम में विद्यार्थियों के अलावा, श्री अनिल जी (सहा
संगठन मंत्री विद्या भारती मध्य भारत प्रान्त), समाज सेवी श्री भगवान दास अग्रवाल, आचार्य परिवार, न्यास परिवार के
सदस्य गण उपस्थित रहे | कार्यक्रम का
आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और सभी ने मनावत जी के विचारों को आत्मसात करने का
संकल्प लिया।
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