कृषि स्नातक विद्यार्थियों ने कृषि वैज्ञानिक के मार्गदर्शन में सीखी मल्चिंग तकनीक
कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर के अंतर्गत ग्रामीण कृषि कार्य अनुभव (RAWE) कार्यक्रम के तहत सेज विश्वविद्यालय इंदौर , रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल के विद्यार्थियों ने हाल ही में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र पटेल के मार्गदर्शन में मल्चिंग तकनीक सीखी। यह कृषि विज्ञान केंद्र के प्रक्षेत्र पर आयोजित किया गया , जिसमें विद्यार्थियों ने मल्चिंग के विभिन्न पहलुओं को समझा और उसे व्यावहारिक रूप से अपनाने के तरीके सीखे।
डॉ. पटेल ने बच्चो को कहाँ की मल्चिंग एक ऐसी कृषि तकनीक है, जो मिट्टी की नमी को संरक्षित करने, खरपतवारों को नियंत्रित करने और मिट्टी की संरचना को सुधारने में मदद करती है। इसका प्रयोग विशेष रूप से बागवानी और सब्जी उत्पादन में किया जाता है, लेकिन यह अन्य फसलों के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।
प्रशिक्षण सत्र के दौरान, कृषि वैज्ञानिक डॉ. लवेश चौरसिया ने विद्यार्थियों को मल्चिंग के सिद्धांत और उसकी विभिन्न सामग्रियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने प्राकृतिक और प्लास्टिक मल्चिंग के फायदों और नुकसान को समझाया। आगे बताते हुए डॉ. चौरसिया ने कहाँ "मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है, जिससे फसलों को नियमित सिंचाई की आवश्यकता कम होती है। इसके अलावा, यह खरपतवारों को नियंत्रित करने और मिट्टी की संरचना को सुधारने में भी सहायक होती है।"
विद्यार्थियों ने इस प्रशिक्षण सत्र को अत्यंत लाभकारी बताया। बीएसी सेज विश्वविद्यालय इंदौर की छात्रा पूर्णिमा भावसार ने कहा, "इस प्रशिक्षण से हमें मल्चिंग की महत्ता और इसके सही उपयोग के बारे में गहराई से जानकारी मिली है।