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प्रत्येक पीली पत्ती येलो मोज़ेक नहीं : डॉ. गर्ग

rahul
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सिवनी मालवा : तिलहन आदर्श ग्राम परियोजना के अंतर्गत ग्राम मलोथर मे किसान बंधुओ को सोयाबीन उत्पादन पर प्रशिक्षण आयोजन किया गया जिसके अंतर्गत केंद्र के प्रभारी डॉ. संजीव कुमार गर्ग ने किसानो को मार्गदर्शन देते हुए कहाँ की 

सोयाबीन की खेती में अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता के लिए सिंचाई और बीज चयन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। सही समय पर पानी देना और उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का चयन, सोयाबीन की उपज को कई गुना बढ़ा सकता है। 

सोयाबीन में पानी देने का सही समय

बीज बोने के समय, जब पौधे 25-30 दिन के होते हैं, तब पहली सिंचाई की आवश्यकता होती है, फूल आने के 5-10 दिन बाद फली बनने के समय सिंचाई आवश्यक है। 

आगे बताते हुए डॉ. गर्ग ने कहाँ की प्रत्येक पिली पत्ती येलो मोज़ेक नहीं होती है इसीलिए सबसे पहले उसे पहचाने कही पोषक तत्व को कमी तो नहीं उसे पूरा करें। 



डॉ. प्रवीण सोलंकी द्वारा सोयाबीन मे पोषक प्रबंधन पर जानकारी देते हुए कहाँ की 

सोयाबीन की खेती में सल्फर (गंधक) का उपयोग फसल की उपज और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। सल्फर पौधों के लिए एक आवश्यक पोषक तत्व है, क्योंकि यह प्रोटीन संश्लेषण, एंजाइम क्रियाओं, और अमीनो एसिड के निर्माण में मदद करता है। सोयाबीन जैसी फसलों के लिए, जो प्रोटीन से भरपूर होती हैं, सल्फर का उचित मात्रा में उपलब्ध होना बहुत ज़रूरी है।

     सल्फर की कमी के कारण सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा घट सकती है, जिससे फसल की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा, सल्फर की कमी के लक्षण पौधों में पत्तियों का पीला होना, विकास की कमी और उपज में गिरावट के रूप में दिखाई दे सकते हैं।


प्रशिक्षण मे उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. लवेश कुमार ने सफ़ेद मक्खीयों की प्रबंधन हेतु पिली, निली कार्ड अपनाने हेतु आग्रह किया जिसे अनावश्यक जहर के खर्चो को कम कर सकते है। 

अंत मे हितग्राही किसान बंधुओ को इल्ली मार की दबाई का वितरण किया गया। 


अगले पड़ाव मे ग्राम निपनिया के उन्नत शील उद्यानिकी कृषक राजेश राठौर जी के उद्यानिकी प्रक्षेत्र का भ्रमण कर उनको फल मक्खी से बचाव हेतु ट्रेप प्रदान किया गया। 


कोठरा ग्राम मे किसानो को संतुलित पोषक तत्व प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया





 

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