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गौमूत्र का प्रयोग |
भारत एक कृषि प्रधान देश है और गाय को इस कृषि अर्थव्यवस्थाकी रीढ़ माना जाता है. यही कारण है कि भारत के ज्यादातर किसानों के पास गाय जरूर होती है, जिससे दैनिक जरूरतों के लिये दूध और खेती करने के लिये गोबर और गौमूत्र मिल जाता है.
केंद्र के प्राकृतिक खेती विशेषज्ञ , पादप प्रजनक वैज्ञानिक डॉ. देवीदास पटेल से बातचीत के दौरान कहाँ की कि रासायनों के इस्तेमाल से उजड़ी धरती को बचाने के लिये गाय का गोबर और गौमूत्र अमृत के तौर पर काम करते हैं. इसके इस्तेमाल से मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है, जिसके चलते खराब भूमि भी वापस ठीक होने लगती है. इस काम में गौमूत्र भी अहम भूमिका अदा करता है.
कृषि विज्ञान केंद्र गोविंदनगर के प्रक्षेत्र पर सभी फसलो में गौमूत्र का उपयोग किया जाता है, केंद्र पर संचालित गौशाला से गौमूत्र एक गद्दे में एकत्रित कर उसे मड पम्प की सहयता से निकालकर खेतो तक पहुचाया जाता है जैसा की आप फोटो में देख पा रहे है
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मड पम्प के प्रयोग से गौंमूत्र एकत्रीकरण |
एक रिसर्च के मुताबिक, गौमूत्र में नाइट्रोजन, गंधक, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैग्नीस, कार्बोलिक एसिड़ जैसे जरूरी पोषक तत्व पाये जाते हैं, जो मिट्टी की सेहत और फसलों के बेहतर उत्पादन के लिये बहुत जरूरी हैं. इसको अलावा गौमूत्र में मौजूद लवण, विटामिन-ए, विटामिन-बी, विटामिन-सी, विटामिन-डी, विटामिन-ई, हिप्यूरिक एसिड, क्रियाटिनिन और स्वर्ण क्षार भी पाये जाते हैं.
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§ फसलों पर गौमूत्र से बने कीटनाशक या खाद का इस्तेमाल करने पर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है.
§ मिट्टी में पानी को सोखने और उसे रोकने की क्षमता भी बढ़ जाती है, जिससे बारिश का पानी भी मिट्टी में नमी बनाये रखता है और सिंचाई के खर्च में बचत होती है.
§ इससे जीवामृत और बीजामृत भी बनाया जाता है, जो प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिये खाद-उर्वरक और फसल के लिये संजीवनी का काम करता है
§ फसलों के अवशेष पर गौमूत्र का छिड़काव करने पर ये कचरा खाद का रूप ले लेता है, जिससे मिट्टी में अलग से खाद-उर्वरक डालने की जरूरत नहीं होती.
§ गौमूत्र से बने कीटनाशक का छिड़काव करने पर कैमिकल के अंश फल, सब्जी और अनाजों पर नहीं पड़ते, बल्कि पूरी तरह स्वस्थ, ज्यादा स्वादिष्ट और बेहतर क्वालिट का उत्पादन मिलता.
§ खासकर गन्ना, मक्का, कपास, तंबाकू, टनाटर, दलहन, गेहूं, धान , सूरजमुखी, फल, केला, भिंडी, गन्ना आदि फसलों पर गौमूत्र के जैव कीटनाशक का छिड़काव करने पर चमत्कारी परिणाम देखे गये हैं.
§ इससे फसलों में नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है, जिससे यूरिया और नाइट्रोजन के अलग से प्रयोग की जरूर नहीं पड़ती. साथ ही वातावरण भी रोगमुक्त और हरा-भरा रहता है.
§ रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले गौमूत्र का इस्तेमाल करने पर अलग-अलग फसल चक्रों में भी कीट-रोगों की संभावना खत्म हो जाती है, जिससे किसान चिंतामुक्त खेती कर सकते हैं.
सबसे बड़ा फायदा यही है कि गौमूत्र और गोबर का इस्तेमाल करने गौवंश के संरक्षण में काफी मदद मिलती है. इसकी मदद से जैविक और प्राकृतिक खेती करके पर्यावरण के संरक्षण में भी काफी मदद मिलती है.