वर्तमान में अत्याधिक रासायनिक
खेती से हो रहे दुष्परिणाम को देखते हुए भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने प्राकृतिक
खेती पर विशेष जोर दिया गया है इस हेतु कृषि विज्ञान केंद्र गोविंद नगर
द्वारा नर्मदापुरम जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए
केंद्र के
वैज्ञानिकों द्वारा प्रत्येक
विकासखंड के ग्रामों में कृषकों को प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है
जिसके तहत प्राकृतिक खेती के प्रभारी डॉ. देवीदास पटेल द्वारा ग्राम मंगरिया
सोहागपुर में कृषको को प्राकृतिक खेती का महत्व को बताया साथ ही साथ
रासायनिक खेती का हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव के बारे में विस्तृत जानकारी किसान
बंधुओ को दी , डॉ पटेल ने बताया की कही न कही हम ज्यादा पैदावार के लिए
अपने खेत को बंजर तो नहीं कर रहे, कही हम कैंसर की और अग्रसर तो नहीं हो रहे इसे रोकना है
तो प्राकृतिक की ओर बढ़ना पड़ेगा | कम से कम हम अपने खाने योग्य अनाज या सब्जियां प्राकृतिक
तरीके से उगाये | प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले घटक जैसे जीवामृत,
घन जीवामृत,
नीमस्त्र दशपर्णी अर्क के निर्माण
एवं उपयोग की जानकारी दी गई, 
प्रशिक्षण में उपस्थित मृदा विशेषज्ञ डॉ प्रवीण सोलंकी ने मृदा
परीक्षण एवं पोषक प्रबंधन की जानकारी देते हुए कहा कि खेती करने से पहले हमें मृदा
परिक्षण करना आवश्यक है जिससे अनावश्यक खाद मृदा में डालने से बचेंगे जिससे हम अपनी
लागत भी कम कर सकेंगे

शस्य विज्ञान विशेषज्ञ डॉ. राजेंद्र पटेल ने फसल विविधीकरण की विस्तृत जानकारी दी
इस कृषक प्रशिक्षण में 40 कृषक उपस्थित थे जिन्होंने इस प्रशिक्षण का लाभ लिया तथा प्राकृतिक खेती करने का संकल्प लिया