ये रसानियिक दवाइयां कीटों को तो मार देती हैं, लेकिन इसके जहरीले अंश मिट्टी में मिलकर उसकी उत्पादन क्षमता व किसान का स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करते हैं। ऐसे में जिला में किसानों को पेस्टीसाइड के खतरों से दूर करने और फसलों को कीटों से बचाने के लिए अब सोलर लाइट ट्रैप अपनाने पर जोर दिया जा रहा है। बल्बों की तरफ आकर्षित होते हैं पतंगें केंद्र के कीट वैज्ञानिक ब्रजेश कुमार नामदेव अधिकारी ने उपकरण की कार्यशैली की जानकारी देते हुए बताया कि इसमें एक छोटी सोलर प्लेट लगाई जाती है। जो दिन में उपकरण में नीचे की तरफ लगी बैटरी को चार्ज करती है।
बीच में खाली जगह छोड़ कर एक इलेक्ट्रीक रैकेट लगा दिया जाता है। रैकेट के ऊपर कुछ छोटे-छोटे बल्ब लगा दिए जाते हैं। जो सौर ऊर्जा से चार्ज हुई बैटरी से जलते हैं। इन बल्बों को देखकर कीट पंतगें आकर्षित होते हैं और इलेक्ट्रिक रैकेट की चपेट में आकर मर जाते हैं।